पत्नी तक का दर्जा दिलाते हैं जुल्म करने पर ना कोई हिचकिचाते हैं पत्नी तक का दर्जा दिलाते हैं जुल्म करने पर ना कोई हिचकिचाते हैं
दुल्हन-सी सजी है धरती, प्रेम ऋतु फिर से आयी है। दुल्हन-सी सजी है धरती, प्रेम ऋतु फिर से आयी है।
गर चला गया लड़ने सीमा पर तो शहीद कहलायेगा माँ भारती के चरणों में स्थान पायेगा गर चला गया लड़ने सीमा पर तो शहीद कहलायेगा माँ भारती के चरणों में स्थान पायेगा
जांबाजो को सलाम जांबाजो को सलाम
मां सरस्वती के आँगन में , हिन्दी की हम करें आरती। मां सरस्वती के आँगन में , हिन्दी की हम करें आरती।
पन्द्रह अगस्त की रात को ,वो हाथ में झंडा लिए थी राजपथ पर घूमती, आँखों में थी बस याचना, और घाव छाती प... पन्द्रह अगस्त की रात को ,वो हाथ में झंडा लिए थी राजपथ पर घूमती, आँखों में थी बस ...